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अदनासा-
sunset nature इंसानों की भावनाओं से खेलते ये चंद इंसान, मुमकिन है हर खेल खेलना नही जानते होंगे, तरह-तरह के इंसान है इस ज़ालिम जहान में, ज़रूर नये खेल की आज़माइश में लगे रहेंगे, नाज़ ना कर इंसान तू बहुत बड़ा खिलाड़ी है, लोग रोज़ कपड़ों में जाते है और आते है नंगे। ©अदनासा- #हिंदी #भावनाओं #खिलाड़ी #जहान #नंगे #कपड़ो #आते #जाते #Instagram #अदनासा
Harvinder Ahuja
हम भावनाओं को बहुत दूर छोड़ आए हैं, जो रिश्ते थे ही नहीं उन्हें तोड़ आएं हैं, अब वो दर्द होता ही नहीं, जिसे दर्द का रिश्ता कहते हैं, जो रिसता था, था कभी मगर रिश्ता नहीं, उन बहते हुए घावों की, की कभी मल्हम नहीं, उन घावों को नासूर बनने छोड़ आए हैं। ©Harvinder Ahuja #भावनाओं से दूर
Amit Singhal "Aseemit"
भावनाओं का दरवाज़ा हमेशा खुला रखना, कोई कमतर नहीं हो जाता रोग के कारण। किसी को ठेस नहीं पहुंचे, यह ध्यान रखना, आत्मीय सहयोग है, हर रोग का निवारण। ©Amit Singhal "Aseemit" #भावनाओं #का #दरवाज़ा
अदनासा-
भले ही कमल ना लाखों खिले, मात्र एक कमल हो पर्याप्त उन्मुक्त, परम प्रेमी सा बुद्ध बावरे मन में। जीवन में केवल मन मिले, आकर्षण के दलदली रूप से मुक्त, पवित्र शुद्ध भावनाओं के जल में। ©अदनासा- #हिंदी #मन #कमल #lily #जल #भावनाओं #Instagram #Pinterest #Facebook #अदनासा
Rakesh frnds4ever
वो रातें जो जाग कर निकलती है जिसमें हर इक पल में अंधेरा आपके मन रूपी भवनों/इमारतों/मकानों की भावनाओं/जज्बातों/ख्वाबों खयालातों रूपी कंद्राओं ओर शिलाओं ओर द्वंद एवम कुंठाओ रूपी खिड़कियों / रोशनदानों से आर पार होता हुआ किसी अनजान अनंत अगमय जगह पर घर करता हुआ बैठता चला जाता है उन रातों की भोर होने में ओर सुबह होने काफी बरसो का असीमित समय लग जाता है,,,... ©Rakesh frnds4ever #WoRaat वो #रातें जो जाग कर निकलती है जिसमें हर इक पल में #अंधेरा आपके #मन रूपी भवनों/इमारतों/मकानों की #भावनाओं /जज्बातों/ख्वाबों खयालातों रूपी #कंद्राओं ओर शिलाओं ओर द्वंद एवम #कुंठाओ रूपी खिड़कियों / रोशनदानों से
Rakesh frnds4ever
मन को तृप्त करती बारिश की बूंदों में बादलों के पानी के साथ - साथ आंखों में कैद बरसों का पानी भी बाहर निकलने को उमड़ता है,, मन के कोने में दबी भावनाओं के द्वंद से आंखों के रास्ते बाहर निकल जाने को दिल की पीड़ाओं का शैलाब,,, मन की कुंठाओं का दरिया ,, दुनिया की नजरो से बचते बचाते बह निकलता है,, ओर बादलों, धरती ,, पानी के साथ साथ,, खुद भी किसी एक छोटे से हल्के से एहसास से रोने लगता है,,, लोगो से बेखबर,,,, ओर उनके साथ होते हुए भी,, उनसे कोसों दूर,, एकांत में जहां किसी को भी आने की मनाही होती है,,, जहां दूसरे उसे ना देख पाते हैं ना जान पाते है,,, बस एक असीम कृद्न होता है,, खामोशी होती है,,, सब कुछ शांत ,, ढहरा हुआ,,,,,..... ©Rakesh frnds4ever #बारिश #मन को तृप्त करती बारिश की बूंदों में #बादलों के पानी के साथ - साथ #आंखों में कैद बरसों का पानी भी बाहर निकलने को उमड़ता है,, मन के कोने में दबी #भावनाओं के #द्वंद्व से आंखों के रास्ते बाहर निकल जाने को दिल की पीड़ाओं का #शैलाब ,,, मन की कुंठाओं का दरिया ,, #दुनिया की नजरो से बचते बचाते बह निकलता है,,ओर बादलों, #धरती ,, पानी के साथ साथ,, खुद भी किसी एक छोटे से हल्के से एहसास से रोने लगता है,,, लोगो से बेखबर,,,, ओर उनके साथ होते हुए भी,,उनसे कोसों दूर,,एकांत में जहां किसी को भी आने
Shabdveni
पाषाण जब भावनाओं की पीड़ा शीर्षस्थ को प्राप्त कर लें... तब कुछ भी पाने का मोह और, खोने का दुःख जाता रहता है। पाषाण और पाषाण नहीं होता विदीर्ण हो जाता है। ©️Meenakshi Shukla ©Shabdveni #Shades #पाषाण #भावनाओं #पीड़ा #shabdveni #meenakshi_shukla #poetrymonth