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अच्छी आँखों के पुजारी हैं मेरे शहर के लोग तू मेरे

अच्छी आँखों के पुजारी हैं मेरे शहर के लोग
तू मेरे शहर में आएगा तो छा जाएगा
हम क़यामत भी उठाएंगे तो होगा नहीं कुछ
तू फ़क़त आँख उठाएगा तो छा जाएगा
फूल तो फूल हैं वो शख़्स अगर काँटे भी
अपने बालों में सजायेगा तो छा जाएगा
यूँ तो हर रँग ही सजता है बराबर तुझ पर
सुर्ख़ पोशाक में आएगा तो छा जाएगा
पंखुड़ी होंट, मधुर लहजा और आवाज़ उदास
यार तू शेर सुनाएगा तो छा जाएगा
जिस मुसाफिर की नहीं बिकती कोई भी तस्वीर
तेरी तस्वीर बनाएंगे तो छा जाएगा
सब्र वालों की हुकूमत है फ़क़त चन्द ही रोज़
सब्र मैदान में आएगा तो छा जाएगा

©erakash21
  #छाजाएगा