तकरीर जब दिल की गहराई में उतरती है, आवाज़ से स्याही बनकर असर करती है। तस्वीर खामोशी में जो बात कह जाती है, हर नजर पर अपने रंग छोड़ जाती है। तकरीर जहां जज़्बातों को पंख देती है, तस्वीर वहां लम्हों को अमर कर देती है। शब्दों का जादू हो या छवियों की गूंज, दोनों ही दिलों में हलचल भर देती है। दोनों ही हैं कायनात के अनमोल तोहफ़े, एक सुनने का सफर, दूसरा देखने का किस्सा। शब्दों की तासीर जहां दिल बहलाए, छवियों की तहरीर वहां मन लुभाए। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर तकरीर जब दिल की गहराई में उतरती है, आवाज़ से स्याही बनकर असर करती है। तस्वीर खामोशी में जो बात कह जाती है, हर नजर पर अपने रंग छोड़ जाती है। तकरीर जहां जज़्बातों को पंख देती है, तस्वीर वहां लम्हों को अमर कर देती है।