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बरसात की पहली बूंद याद आई। बरसात में ही तेरा मुझसे

बरसात की पहली बूंद याद आई।
बरसात में ही तेरा मुझसे मिलना याद आई।
बूंद बन कर जो धरती को अपने प्रेम से
लबालब कर रहा है,
ओ ओर कुछ नहीं,
तेरी मेरी मोहब्बत की पहचान ही तो है।

©मुसाफिर
  #Barsaat