जो भी है दिल में जज्बात आपके आज बता भी दीजिये अफ़साने गा के सुना भी दीजिये आँचल अपने इस सावन में भींगा भी दीजिये तस्वीर बन के जो रह गयी है आईने को अपना अक्श दिखा भी दीजिये चुपके से छत पर बुला भी लीजिये जुल्फों के बादल को उड़ा भी दीजिये सुर्ख गुलाब की पंखुडियो जैसे लबो पर लबो को टकरा भी लीजिये मोम बेचारी यूँ ही पिघल रही फूँक मार कर बुझा भी दीजिये दिल के ख़त का पता बता भी दीजिये दरवाजे की कुण्डी सरका भी लीजिये जो भी है दिल में आज बता भी दीजिये–अभिषेक राजहंस बता भी दीजिये