जल्लाद भाई हाय रे मेरी बदकिस्मती जो मैंने ऐसा जल्लाद भाई पाया। जिसने पहले पापा जी को उनके ही घर से कर बाहर उन्हें कितना तड़पाया। हाय रे मेरी बदकिस्मती जो मैंने ऐसा जल्लाद भाई पाया। जिन नन्हे हाथों की उंगली थाम पापा जी ने चलना सिखाया, उन्हीं पापा जी को, होकर बड़े उस भाई ने, उनके अंत समय तक ना जाने कितने ही खून के आँसू रूलाया। हाय रे मेरी बदकिस्मती जो मैंने ऐसा जल्लाद भाई पाया। जीवन में कभी नहीं की जिस भाई ने पापा जी की सेवा, पापा जी के गुज़रते ही उसने कुछ दिन उपरांत बैंक बैलेंस, घर प्रॉपर्टी जो कुछ भी था पापा जी का, सब डरा- धमकाकर, मार-पीट कर मम्मी जी से, करवा सिग्नेचर फौरन अपने नाम कराया। हाय रे मेरी बदकिस्मती जो मैंने ऐसा जल्लाद भाई पाया। पापा जी का सबकुछ हथ्याकर भी, जब भाई का जी नहीं भरा, तो उसने मम्मी जी को भी खूब मारा-पीटा और उसने मम्मी जी का भी अब घर से बाहर निकलना बंद करवाया। हाय रे मेरी बदकिस्मती जो मैंने ऐसा जल्लाद भाई पाया। अपने दिलकी एक-एक बात मम्मी जी कहीं मुझ बेटी को भी बता ना दें इसलिए "बेटी के घर गई तो मेरा मरा मुँह देखोगी" ऐसा कह कर भाई ने, मम्मी जी का आना -जाना भी घर मेरे बंद करवाया। हाय रे मेरी बदकिस्मती जो मैंने ऐसा जल्लाद भाई पाया। जिस बेटे को नौ माह मम्मी जी ने अपने गर्भ में धारण किया, जिसकी खातिर इतना दर्द सहा, जिसे उसके जन्मोपरान्त सूखे में रख, खुद वो गीले में सोई, जिसकी खातिर जाने कितनी ही रातें जागी, जिसके मुँह से निकले जूठे निवाले को भी खाया, जिसको मम्मी जी ने आँचल के अपने पिला अमृत, बड़े ही नाज़ों से सीने से लगाया, जिसपर मम्मी जी ने जीवनभर अपनी सारी ममता वारी, आज देखो उसी बेटे ने उनको जीते जी रूला-रूला कर मार डाला। जाने भाई मेरा क्यों इतनी हैवानियत पर उतर आया। हाय रे मेरी बदकिस्मती जो मैंने ऐसा जल्लाद भाई पाया। रौशनी अरोड़ा "रश्मि" #जल्लाद भाई