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मात्रा भार - 43 ओ सावन मुझको जरा इतना बता दो,आँ



मात्रा भार - 43

ओ सावन मुझको जरा इतना बता दो,आँसुओं से क्यों किया शृंगार तूने। 
वह न लौटा जा बसा परदेश में है,जिस बेदर्दी से किया है प्यार तूने। 
दर्द के दरिया में बहता तू रहा है, आँसुओं में हर घड़ी डूबा हुआ सा - 
आ तू अपनी पीर मुझसे बाँट ले, हरजाई पर क्यों किया एतबार तूने।

©Dr Usha Kiran
  #CloudyNight