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ushakiran6651
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Dr Usha Kiran

मैं मुझ में गुमशुदा सा है

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Dr Usha Kiran

White मौन रहे सम्वाद मुखर नैनों की भाषा। 
अधर छुपाए गीत लिए सदियों की आशा। 
नित-नित स्पंदित मन भाव हो रहे कोमलतर,
श्वासों पर आधिपत्य ये कैसी परिभाषा।

©Dr Usha Kiran
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Dr Usha Kiran

White क्षणिकाएंँ 

  1
शाश्वत सत्य है 
समय का बदलना 
पर नहीं बदलती 
कुछ बातें 
ज्यों-की-त्यों 
जमायी गईं हो जैसे 
शुन्य बिन्दु पर…! 

 2

निशब्द रात का प्रहर 
सन्नाटे में उतरती 
इक याद
झंझनाते मन के तार 
दूर-दूर तक 
घुलती फिजां में 
पपीहे की 
करूँण पुकार।

©Dr Usha Kiran
  #क्षणिकाएंँ
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Dr Usha Kiran

🌹🌹🌹🌹🌹🌹

सुनो तुम टेर हे प्यारे, 
नयन मनुहार करते हैं। 
भटकते प्राण सदियों से, 
प्रेम व्यापार करते हैं। 

नदी हूंँ मैं प्रभु शापित, 
तुम हो करुणामय सिंधु! 
जो भर लो अंक में अपने, 
कर दो पुण्यमयी बिंदु। 

करो उद्धार हे!प्रियवर, 
बिनय हर बार करते हैं। 
सुनो तुम टेर हे! प्यारे, 
नयन मनुहार करते हैं। 

छली गई हूँ माया से 
काल की आग में जलती। 
मद्धम सी कोई आशा, 
जैसे सीपी में पलती। 

करो स्वीकार है अर्पण, 
हृदय संसार करते हैं। 
सुनो तुम टेर हे! प्यारे, 
नयन मनुहार करते हैं।

©Dr Usha Kiran
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Dr Usha Kiran

मन के मंदिर में सदा, रखो जलाकर दीप। 
खुशियाँ आँगन में रहे , जैसे मोती सीप।। 

मन में ठंडक राखिए, ठंडक रहे विचार। 
गर्मी जब तक दूर हो, सुखी रहे संसार।। 

मधुर वचन मिश्री लगे, मन के हरे विकार।
टूटे मनके जोड़ दे ,       पाटे सभी दरार।। 

महक बचाकर राखिए, घर आँगन के बीच। 
प्रेम बेल बढ़ती रहे, रखे जो नित-नित सींच।। 

रहे प्रेम की संपदा,       जा घर चादर तान। 
खुशियाँ उसके द्वार पर,मिले लिए मुस्कान।।

चंदन सा मन हो सदा, सुरभित मन का गाँव। 
दो पंछी बैठे रहे,       घनी नेह की छांँव।।

©Dr Usha Kiran
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Dr Usha Kiran

नमन करूँ माँ कालिका, इतना रखना ध्यान । 
तेरी करुणा का सदा, मिले मुझे वरदान।

©Dr Usha Kiran
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Dr Usha Kiran

तेरे रंग मैं रंगी रहूँ तुम रंग पिया बरसाओ। 
सतरंगे सपनों के रंग संग चुनरिया रंग जाओ। 
ऐसा तेरा रंग चढे रंग भाए नहीं अब दूजा, 
छूट न पाए जनम-जनम मोहे ऐसो रंग लगाओ।

©Dr Usha Kiran
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Dr Usha Kiran

दूर बहुत है धूप छांँव से, 
तुम अभी बहलाओ न! 
ओ रे! ठहर जा स्वप्न मेरे, 
छोड़ मुझको जाओ न!

©Dr Usha Kiran
  #chaandsifarish
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Dr Usha Kiran

लज्जा से लाल कपोल सखी, निरख रही दर्पण मुख प्यारे। 
नैन बसे छवि मोहन जू की, सारा जग उन्हीं सो न्यारे। 
धाय रही सुन वंशी आंचल, वीथिका बीच रहे लपटाय, 
मोह रहे सारा जग मोहन, वेष सखी धर देव पधारे।

©Dr Usha Kiran
  #janmashtami
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Dr Usha Kiran

इतना सा संसार दे दो! 

मनुहार आज तुमसे करूँ,
सुप्त तारों को झंकार दे दो।
यह तप्त हृदय हो शीतल, 
 तुम एक ऐसी फुहार दे दो। 

देख सकूँ तुझे कण-कण में,
मेरी दृष्टि को विस्तार दे दो।
तुम्हें ढाल सकूँ मैं शब्दों में, 
मुझे इतना सा अधिकार दे दो। 

भर सकूँ पल-पल साँसों में,
ऐसी सुरभित  बयार दे दो।
तुम मुझ में हो मैं तुझ में,
 मुझे इतना सा संसार दे दो।

©Dr Usha Kiran
  #HappyRoseDay
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Dr Usha Kiran

गीतिका 

मापनी - 221   2122   221  212

देखो बसंत आया अवतार हो गया। 
वसुधा सजी अनूठा संसार हो गया। 

तीसी विहंसती बरबस मुग्ध हो रही , 
सकुचा उठी मनोहर श्रृंगार हो गया। 

सौरभ उड़ा रही कलियाँ भी गली-गली, 
बगिया खिली जगत भी गुलजार हो गया। 

महुआ कहीं बिखेरे भीनी सुगंध है, 
टेसू खिला कि मन भी कचनार हो गया। 

पुरवा सखी सुनाती संगीत प्रीत के, 
मन बावरा सलोना सुकुमार हो गया। 

कब से बुलाती विरहन परदेश जो गया, 
कहती किसे बताओ क्या खार हो गया। 

मधुमास मन न भाए बिन प्रीत रीत के, 
मनमीत संग हर पल त्यौहार हो गया।

©Dr Usha Kiran
  #मधुमास
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