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"काव्य वीणा सम्मान" सांस्कृतिक नगरी राजधानी कोलकात

"काव्य वीणा सम्मान" सांस्कृतिक नगरी राजधानी कोलकाता में

©DrPremlata Tripathi परिवार मिलन द्वारा आयोजित काव्य-वीणा सम्मान समारोह २०२२ : २४ सितम्बर २०२२
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काव्य की रागात्मक चेतना को प्रवाहमान बनाये रखने के उद्देश्य से परिवार मिलन द्वारा प्रकल्पित काव्य-वीणा सम्मान २०२२ का दशम पुष्प लखनऊ से पधारीं डॉ० प्रेमलता त्रिपाठी को उनकी भाषाई सौष्ठव से समृद्ध गीतिका-संग्रह "सुधियाँ जैसे बाँह पसारे" को दिया गया। काव्य वीणा सम्मान से सम्मानित डॉ०प्रेमलता त्रिपाठी पहली महिला हैं।डॉ०प्रेमलताजी को सम्मान स्वरूप इक्यावन हज़ार की राशि के साथ श्रीफल,शॉल,प्रतीक चिन्ह एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया। यह सम्मान संस्था के पूर्व अध्यक्ष साहित्य मर्मज्ञ स्व० परमानंद चूड़ीवाल की काव्यात्मक अभिरुचि से प्रेरित उनके सुपुत्र संस्था के अर्थ सचिव अरुण चूड़िवाल द्वारा चर - अचर अर्पण न्यास के सौजन्य से प्रति वर्ष दिया जाता है।

समारोह का आरंभ सत्यनारायण तिवारी द्वारा सरस्वती वंदना के साथ हुआ।काव्य-वीणा सम्मान के चयन समिति के सदस्य एवं समारोह के अध्यक्ष डॉ०ऋषिकेश राय ने आज के परिवेश में छन्द की महत्ता को बताते हुए डॉ०प्रेमलता त्रिपाठी की काव्य साधना के साथ उनकी सृजन निष्ठा पर प्रकाश डाला।विशिष्ट वक्ता डॉ०राजश्री शुक्ल ने अपने सार गर्भित भाषण में कृति की विशेषताओं के साथ बताया कि आज गीतिका छ्न्द लेखन का अभाव है। प्रेमलताजी ने इस पुस्तक में मात्राओं की मापनी  के साथ ११८ गीतिकाओं को विश्वास के साथ साहित्य समाज को समर्पित किया है।
संस्था अध्यक्ष दुर्गा व्यास ने संस्था की गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए स्वागत वक्तव्य दिया।
डॉ०प्रेमलता त्रिपाठी ने हिंदी काव्य जगत में प्रचलित छांदस परम्परा का ज़िक्र करते हुए पुरस्कृत कृति "सुधियाँ जैसे बाँह पसारे" में प्रकाशित गीतिकाओं एवं अपने अन्य चर्चित गीतों का सस्वर पाठकर श्रोताओं के मन्त्रमुग्ध कर दिया।
"काव्य वीणा सम्मान" सांस्कृतिक नगरी राजधानी कोलकाता में

©DrPremlata Tripathi परिवार मिलन द्वारा आयोजित काव्य-वीणा सम्मान समारोह २०२२ : २४ सितम्बर २०२२
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काव्य की रागात्मक चेतना को प्रवाहमान बनाये रखने के उद्देश्य से परिवार मिलन द्वारा प्रकल्पित काव्य-वीणा सम्मान २०२२ का दशम पुष्प लखनऊ से पधारीं डॉ० प्रेमलता त्रिपाठी को उनकी भाषाई सौष्ठव से समृद्ध गीतिका-संग्रह "सुधियाँ जैसे बाँह पसारे" को दिया गया। काव्य वीणा सम्मान से सम्मानित डॉ०प्रेमलता त्रिपाठी पहली महिला हैं।डॉ०प्रेमलताजी को सम्मान स्वरूप इक्यावन हज़ार की राशि के साथ श्रीफल,शॉल,प्रतीक चिन्ह एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया। यह सम्मान संस्था के पूर्व अध्यक्ष साहित्य मर्मज्ञ स्व० परमानंद चूड़ीवाल की काव्यात्मक अभिरुचि से प्रेरित उनके सुपुत्र संस्था के अर्थ सचिव अरुण चूड़िवाल द्वारा चर - अचर अर्पण न्यास के सौजन्य से प्रति वर्ष दिया जाता है।

समारोह का आरंभ सत्यनारायण तिवारी द्वारा सरस्वती वंदना के साथ हुआ।काव्य-वीणा सम्मान के चयन समिति के सदस्य एवं समारोह के अध्यक्ष डॉ०ऋषिकेश राय ने आज के परिवेश में छन्द की महत्ता को बताते हुए डॉ०प्रेमलता त्रिपाठी की काव्य साधना के साथ उनकी सृजन निष्ठा पर प्रकाश डाला।विशिष्ट वक्ता डॉ०राजश्री शुक्ल ने अपने सार गर्भित भाषण में कृति की विशेषताओं के साथ बताया कि आज गीतिका छ्न्द लेखन का अभाव है। प्रेमलताजी ने इस पुस्तक में मात्राओं की मापनी  के साथ ११८ गीतिकाओं को विश्वास के साथ साहित्य समाज को समर्पित किया है।
संस्था अध्यक्ष दुर्गा व्यास ने संस्था की गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए स्वागत वक्तव्य दिया।
डॉ०प्रेमलता त्रिपाठी ने हिंदी काव्य जगत में प्रचलित छांदस परम्परा का ज़िक्र करते हुए पुरस्कृत कृति "सुधियाँ जैसे बाँह पसारे" में प्रकाशित गीतिकाओं एवं अपने अन्य चर्चित गीतों का सस्वर पाठकर श्रोताओं के मन्त्रमुग्ध कर दिया।

परिवार मिलन द्वारा आयोजित काव्य-वीणा सम्मान समारोह २०२२ : २४ सितम्बर २०२२ ----------------------------------------------------- काव्य की रागात्मक चेतना को प्रवाहमान बनाये रखने के उद्देश्य से परिवार मिलन द्वारा प्रकल्पित काव्य-वीणा सम्मान २०२२ का दशम पुष्प लखनऊ से पधारीं डॉ० प्रेमलता त्रिपाठी को उनकी भाषाई सौष्ठव से समृद्ध गीतिका-संग्रह "सुधियाँ जैसे बाँह पसारे" को दिया गया। काव्य वीणा सम्मान से सम्मानित डॉ०प्रेमलता त्रिपाठी पहली महिला हैं।डॉ०प्रेमलताजी को सम्मान स्वरूप इक्यावन हज़ार की राशि के साथ श्रीफल,शॉल,प्रतीक चिन्ह एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया। यह सम्मान संस्था के पूर्व अध्यक्ष साहित्य मर्मज्ञ स्व० परमानंद चूड़ीवाल की काव्यात्मक अभिरुचि से प्रेरित उनके सुपुत्र संस्था के अर्थ सचिव अरुण चूड़िवाल द्वारा चर - अचर अर्पण न्यास के सौजन्य से प्रति वर्ष दिया जाता है। समारोह का आरंभ सत्यनारायण तिवारी द्वारा सरस्वती वंदना के साथ हुआ।काव्य-वीणा सम्मान के चयन समिति के सदस्य एवं समारोह के अध्यक्ष डॉ०ऋषिकेश राय ने आज के परिवेश में छन्द की महत्ता को बताते हुए डॉ०प्रेमलता त्रिपाठी की काव्य साधना के साथ उनकी सृजन निष्ठा पर प्रकाश डाला।विशिष्ट वक्ता डॉ०राजश्री शुक्ल ने अपने सार गर्भित भाषण में कृति की विशेषताओं के साथ बताया कि आज गीतिका छ्न्द लेखन का अभाव है। प्रेमलताजी ने इस पुस्तक में मात्राओं की मापनी के साथ ११८ गीतिकाओं को विश्वास के साथ साहित्य समाज को समर्पित किया है। संस्था अध्यक्ष दुर्गा व्यास ने संस्था की गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए स्वागत वक्तव्य दिया। डॉ०प्रेमलता त्रिपाठी ने हिंदी काव्य जगत में प्रचलित छांदस परम्परा का ज़िक्र करते हुए पुरस्कृत कृति "सुधियाँ जैसे बाँह पसारे" में प्रकाशित गीतिकाओं एवं अपने अन्य चर्चित गीतों का सस्वर पाठकर श्रोताओं के मन्त्रमुग्ध कर दिया।