हृदय हर्षमय हो रहा, करुँ मैं प्रदक्षिणा बारंबार, नमन जन्मभूमि को, जहाँ अराध्य लिए अवतार। ऐसी पावन पवित्र धरा को, अपना शीश नवाऊँ, कर तिलक रज मस्तक, शुद्ध होता निज विचार। भारत भूमि है जन्मभूमि, देवगणों का घर-द्वार, इस धरा का स्पर्श मात्र से, हो शक्ति का संचार। देव, गुरु, महापुरुष, वीर, वीरांगना, सुक्तकार, वेद पुराण की जन्मभूमि, जाने समस्त संसार। हृदय गौरवान्वित हो रहा, मैं व्यक्त करुँ आभार, निज जन्मभूमि को प्रणिपात, वंदन करुँ अपार। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏 💫प्रतिस्पर्धा में भाग लें "मेरी रचना✍️ मेरे विचार"🙇 के साथ.. 🥇"मेरी रचना मेरे विचार" आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों का प्रतियोगिता:-०४ में हार्दिक स्वागत करता है..💐🙏🙏💐 🥈आप सभी ८ से १० पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। विजेता का चयन हमारे चयनकर्ताओं द्वारा नियम एवं शर्तों के अनुसार किया जाएगा।