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(किसान और किस्मत) चिलचिलाती धूप थी, चारों तरफ़ सब स

(किसान और किस्मत)
चिलचिलाती धूप थी, चारों तरफ़ सब सुनसान था।
कोई नंगे पैरो चला आ रहा, देखा तो वो किसान था।

आंखों में उसके आंसू ओर कंधे पर थी भारी गठरी।
देख कर उसकी आंखों में आंसू मुझसे भी रहा गया नहीं।

कर के थोड़ी सी हिम्मत पूछा, हे अन्नदाता हुआ है क्या बतलाते हो क्यों नहीं।
बोला आज भी मंडी में फसल का भाव कोई मिला नहीं।।
लागत से कम बेचने से अच्छा पशुओँ को खिलाऊंगा, मेरा क्या है एक और दिन भूखा ही सो जाऊँगा।।

2रु में था जो बेचा आज 100रु में बिक रहा ।
फिर क्या है फायदा उगाने का जब मुझे कुछ मिला नहीं।

बिना कुछ किये वो साहूकार सब कमा रहा।
इतना कहते कहते दर्द की सिसकियाँ अपने अंदर ही अंदर वो समा रहा।।

सरकारें सिर्फ करती है दावा करने को कुछ रहा नही।
किसानों के घरों में आज तक किसीने कुछ भरा नही।

आज भी अगर नही जागी सरकारें, तो ऊपर वाला प्रलय लायेगा।
ऐसा ना हो किसान के जैसे हर कोई भूखा रह जाएगा।।

            (प्रीतम सिंह) #किसान #Struggle #किस्मत 

किसान और क़िस्मत
(किसान और किस्मत)
चिलचिलाती धूप थी, चारों तरफ़ सब सुनसान था।
कोई नंगे पैरो चला आ रहा, देखा तो वो किसान था।

आंखों में उसके आंसू ओर कंधे पर थी भारी गठरी।
देख कर उसकी आंखों में आंसू मुझसे भी रहा गया नहीं।

कर के थोड़ी सी हिम्मत पूछा, हे अन्नदाता हुआ है क्या बतलाते हो क्यों नहीं।
बोला आज भी मंडी में फसल का भाव कोई मिला नहीं।।
लागत से कम बेचने से अच्छा पशुओँ को खिलाऊंगा, मेरा क्या है एक और दिन भूखा ही सो जाऊँगा।।

2रु में था जो बेचा आज 100रु में बिक रहा ।
फिर क्या है फायदा उगाने का जब मुझे कुछ मिला नहीं।

बिना कुछ किये वो साहूकार सब कमा रहा।
इतना कहते कहते दर्द की सिसकियाँ अपने अंदर ही अंदर वो समा रहा।।

सरकारें सिर्फ करती है दावा करने को कुछ रहा नही।
किसानों के घरों में आज तक किसीने कुछ भरा नही।

आज भी अगर नही जागी सरकारें, तो ऊपर वाला प्रलय लायेगा।
ऐसा ना हो किसान के जैसे हर कोई भूखा रह जाएगा।।

            (प्रीतम सिंह) #किसान #Struggle #किस्मत 

किसान और क़िस्मत
pritamsingh2868

Pritam Singh

New Creator

#किसान #Struggle #किस्मत किसान और क़िस्मत #कविता