जमाने का चलन ही सिरमौर रहता है सदा हमें अपनी बात तक कहने का भी हक नहीं था मेरी कामयाबी ही जैसे मेरे कत्ल का कलाम बन बैठी मेरी खोमोश बेबसी ही मेरे कफन का सामान बन बैठी जब से छूटा था मेरी मुहब्बत का साथ भी मुझसे मै तो जिंदगी जीने के भी भूलने लगी सारे नुस्खे खो चुकी हर आस तो बुझने लगी जीने की प्यास आज मै होती अगर तो दूसरे मसलों पर बिछती बिसात बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla चलन वंदना ....