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एक शिखर के सामने अपने कद का अभिमान ज्यादा देर

एक शिखर के सामने  अपने  कद  का
अभिमान  ज्यादा देर तक टिक नही सकता और
अपने बौने पन 
पर  हंसी भी तब आती है ज़ब आप विहंग की भांति
आकाश मे  उड़ान भी नही भर पाते
और सागर की सतह पर गरजती  उन्मुक्त  लहरों की
विस्तीर्णन छवि देख कर अपनी उस  निरीहताका
आभास होने लगता है  ज़ब  आपकी  एक भरपूर
अंगड़ाई भी उस  उन्मुक्त लहर की विसतीर्णता के सामने
  बोनी साबित  हो जाती है.

©Parasram Arora बौनापन.....
एक शिखर के सामने  अपने  कद  का
अभिमान  ज्यादा देर तक टिक नही सकता और
अपने बौने पन 
पर  हंसी भी तब आती है ज़ब आप विहंग की भांति
आकाश मे  उड़ान भी नही भर पाते
और सागर की सतह पर गरजती  उन्मुक्त  लहरों की
विस्तीर्णन छवि देख कर अपनी उस  निरीहताका
आभास होने लगता है  ज़ब  आपकी  एक भरपूर
अंगड़ाई भी उस  उन्मुक्त लहर की विसतीर्णता के सामने
  बोनी साबित  हो जाती है.

©Parasram Arora बौनापन.....

बौनापन..... #कविता