सच्चे स्वरूप में कोई रहना नहीं चाहे, ईश्वर की राह पर कोई चलना नहीं चाहे हुलिया बदल के लोग मिलते हमें यहां, गंगा को कोई गंगा रखना नहीं चाहे। ©Rajendra Prasad Pandey Kavi #बहुरुपिया आदमी