POET गम मे रहकर मुस्कुराना अब यहां तुम सीख लो, गैर को अपना बनाना अब यहां तुम सीख लो। चोट आई जख्म गहरे आंसू बहाना छोड़ दो, खुद पे तू करके भरोसा प्रेम करना सीख लो।
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Rajendra Prasad Pandey Kavi
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