अभी नींद में हूँ अभी जगाओ ना आँखे बंद जरूर है मेरी पर किसने कह दिया कि मैं सो रहा तुम ऐसे आकर मुझसे मेरी नींदे चुराओ ना दिल मेरा क़ैदगाह है तुम कैद हो कर रह जाओगे कब्र का पत्थर जब तक न टूटे तब तक दफन रह जाओगे यूँ इश्क का पानी बहाने का इरादा न कर समंदर हूँ मैं सूखा हुआ तुम मुझमें ही कहीं गुम हो जाओगे गुस्ताखियाँ न कर कोई अब तुम आजद रह कर भी मेरे जज्बातों में कैद हो जाओगे अपनी साँसे मुझमें भर कर मुझे और ज़िंदा न कर अभी नींद में हूँ अभी जगाओ ना अभी नींद में हूँ