नाजायज़ नाजायज़ के नाम से पल रहा था, वो एक मेरा रिश्ता जो इबादत सा सच्चा था। इश्क़ था वो मेरा, चाहे दूसरा ही सही। बातें बहुत सी खास थी उसमें, पर मुझे तो उसके लिखने का हुनर भाता था। मैं तो उससे छुप-छुप कर मिलने जाया करती थी, पर वो नासमझ खुले आम मोहब्बत दर्शाता था। लिखता था वो कविताये मेरे लिए, और फिर अक्सर मुझे फ़ोन पर सुनाया करता था। प्यार तो बेहद था मुझे उससे, पर रिश्ता हमारा नाजायज़ कहलाया। एक रोज़ ना जाने कैसे बात उड़ गई हमारे इश्क़ की, गाँव वाले ने फिर इस इबादत को गलत बताया। पंचायत बैठी, बहस हई और फिर फैसले में उसे गुनाहगार बताया था। मेरी ही नज़रो के सामने उसने दम तोड़ा, जब सज़ा के तौर पर उसे ज़िंदा जलाया था। कहते थे सब की सही न्याय हुआ, क्योंकि हमने रिश्ता पाप का बनाया था। आखिर गुनाहगार तो था ही वो, जो उसने मेरी सफेद साड़ी में रंग भरना चाहा था। #love #poetry #hindi #widow #society