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बचपन से ग़ुरूर महफ़ूज़ रखती है माँ की चाहत, जवानी

बचपन से ग़ुरूर महफ़ूज़ रखती है माँ की चाहत, 
जवानी में मग़रूर किये रहती है हुस्न की इबादत, 
मौत से ज़्यादा मौत तक के तन्हा सफ़र का ख़ौफ़
साज़िश ए बरबादी है ये सहारों के सुकूँ की आदत!

©Shubhro K
  #samajh_sako_to
Manali Rohan Pushpvritiya  feeling Satyajeet Roy Monika