मैं तन्हा न होकर भी तन्हा हूँ और तन्हा होकर भी तन्हा नही जिंदगी किस मोड़ से गुजर रही है पता नही कहां जाना है पता नही बस रास्ते जहाँ ले जाए मेरी मंजिल अब वहीं है तन्हाई भी अक्सर आहट है वजूद कि शुरुआत है शोर की कि कुछ होने वाला है ©साहेब #meritanhai