रोशनी तन में, मन में, और जीवन में कर रोशनी तू हर एक जन में जहां तक जाती है जाने दे ना बांध रोशनी बंधन में पेड़ों को क्यूँ धरती से उखाड़े देते हैं एक रोशनी ये कण कण में थाम ले बिखर रही रिश्तों की पूंजी बढ़ा ज़रा रोशनी रिश्तों के उपवन में धोखा देना ही क्यूँ सीख रहा है कम हो रही है रोशनी धड़कन में कोई रस्ता यूही भटक ना जाये कुछ रोशनी कर दे रस्तन में आमिल Tann mai mann mai or jeewan mai Kr roshni tu hr ek jann mai Jahaa tak jaati hai jaane de Na bandh roshni bandhan mai Pedoo ko q dharti se ukhaade Dete hain ek roshni ye kann kann mai