Nojoto: Largest Storytelling Platform

अक्सर हम अपने खालीपन पर कुछ चिपका लेते हैँ कोई

अक्सर हम  अपने खालीपन  पर कुछ  चिपका
लेते हैँ
कोई डिग्रियां ले आता हैकोई पीएचडी  हो जाता है
कोई धन् कमा क़र  अम्बानी बन जाता है
कोई डॉक्टर है कोई इंजीनियर  कोई मिनिस्टर
हो जाता है
पचीस  तरह क़े पागलपन हैँ.. कोई कुछ न कुछ होता
ही है.... तखटिया  नेम्पलेट  दरवाज़ों पर ही नहीं
लगी हैँ   अपने भीतर की  रिक्तता  पर भी ये
तख्तीया   लगी है....... उन तख्तियो को पढ़ लेते है और
उन्हें देख क़र फूल जाते हैँ   प्रसन्न हो जाते ह
क़ि "कुछ हूँ "  और कुछ होने का मज़ा भी ले लेते है    ...... और छोटी कुर्सी
से बड़ी कुर्सी पर बैठ जाते है  और सोचते है
" मै भी कुछ हूँ "

©Parasram Arora मै भी कुछ हूँ
अक्सर हम  अपने खालीपन  पर कुछ  चिपका
लेते हैँ
कोई डिग्रियां ले आता हैकोई पीएचडी  हो जाता है
कोई धन् कमा क़र  अम्बानी बन जाता है
कोई डॉक्टर है कोई इंजीनियर  कोई मिनिस्टर
हो जाता है
पचीस  तरह क़े पागलपन हैँ.. कोई कुछ न कुछ होता
ही है.... तखटिया  नेम्पलेट  दरवाज़ों पर ही नहीं
लगी हैँ   अपने भीतर की  रिक्तता  पर भी ये
तख्तीया   लगी है....... उन तख्तियो को पढ़ लेते है और
उन्हें देख क़र फूल जाते हैँ   प्रसन्न हो जाते ह
क़ि "कुछ हूँ "  और कुछ होने का मज़ा भी ले लेते है    ...... और छोटी कुर्सी
से बड़ी कुर्सी पर बैठ जाते है  और सोचते है
" मै भी कुछ हूँ "

©Parasram Arora मै भी कुछ हूँ