**!!** आज के नेता गण **!!** **************** आज के नेता गण अपने कुर्सी के खातिर, होठों पर पतझड़ सा नकली मुस्कान लिए, लाखों श्रोताओं के बीच ऊंचे बने मचान से, सुंदर रंग-बिरंगे आसमां के नीचे, पहले धीमी , फिर........ तेज और बुलंद आवाज में, दूसरे नेताओं की करतूतों को, " सौ " साल पुराने........ सड़े कपड़ों की तरह चिथड़े-चिथड़े करते हुए, अपने झूठे जुबान से, वादों की लड़ी लगा कर, मूंह में सपनों से भरी बंद गठरी खोल कर, लाचार गरीबों के सामने, खुले मैदान में बिखेर देते हैं। कुर्सी पाने के बाद , सुंदर सलोने मचान से, नेताओं द्वारा बिखेरी गई खूबसूरत सपने, विशाल भवन के अंदर,बड़ी सी टेबल के पीछे, पावर से भरपूर कुर्सी.......... वोट और चंदा देने वाले को भूल जाते हैं। श्रोता गण तो श्रोता गन रहते हैं, नेता के अपने और नेता सभी बातें भूल जाते हैं। आज के नेता गण अपने कुर्सी के खातिर, सारे वादें भूल जाते हैं।। ************************ प्रमोद मालाकार की कलम से 06.06.1995 ************** ©pramod malakar #आज के नेता गण