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december ka mahina बिखरी पड़ी हैं यादें जरा समे

december ka mahina  

बिखरी पड़ी हैं यादें जरा समेट लूँ
बिसरी यादों का एक फ्रेम दूँ
कुछ भूली-भटकी कुछ बिसरी, कुछ हठ सी
कुछ खट्टी कुछ मीठी कुछ कड़वी कुछ तीखी
कुछ खुशमयी कुछ दुखमयी 
अपने दिल की विरासत में 
हर याद को एक जमीन दूँ
दिसम्बर की सर्द धूप मेें जरा सेक लूँ
बिखरी पड़ी हैं यादें जरा समेट लूँ
कुछ अपनों की कुछ गैरों की
कुछ सपनों की कुछ हकीकत भरी
सभी तो है अपनी अपनों की
ठंड़ी कपकपी अगुलियों के बीच
जकड़े चाय के कप के साथ जरा देख लू
दिसम्बर की सर्द धूप मेें जरा सेक लूँ
बिखरी पड़ी हैं यादें जरा समेट लूँ
सावन,पतझड़,बसंत, बार सी साल भर की
जीवन के उतराव चढ़ाव पर साथ चली
साल की अंतिम सीमा पर आस लगाये खड़ी
जरा इन्हें अपनी हथेलियों में भर कर 
नये साल में प्रवेश दूँ 
सुनहरे अक्षरों में लिखकर
अपने दिल का एक देश दूँ
बिखरी पड़ी हैं यादें जरा समेट लूँ
दिसम्बर की सर्द धूप मेें जरा सेक लूँ
पारुल शर्मा #NojotoQuote बिखरी पड़ी हैं यादें जरा समेट लूँ
बिसरी यादों का एक फ्रेम दूँ
कुछ भूली-भटकी कुछ बिसरी, कुछ हठ सी
कुछ खट्टी कुछ मीठी कुछ कड़वी कुछ तीखी
कुछ खुशमयी कुछ दुखमयी 
अपने दिल की विरासत में 
हर याद को एक जमीन दूँ
दिसम्बर की सर्द धूप मेें जरा सेक लूँ
december ka mahina  

बिखरी पड़ी हैं यादें जरा समेट लूँ
बिसरी यादों का एक फ्रेम दूँ
कुछ भूली-भटकी कुछ बिसरी, कुछ हठ सी
कुछ खट्टी कुछ मीठी कुछ कड़वी कुछ तीखी
कुछ खुशमयी कुछ दुखमयी 
अपने दिल की विरासत में 
हर याद को एक जमीन दूँ
दिसम्बर की सर्द धूप मेें जरा सेक लूँ
बिखरी पड़ी हैं यादें जरा समेट लूँ
कुछ अपनों की कुछ गैरों की
कुछ सपनों की कुछ हकीकत भरी
सभी तो है अपनी अपनों की
ठंड़ी कपकपी अगुलियों के बीच
जकड़े चाय के कप के साथ जरा देख लू
दिसम्बर की सर्द धूप मेें जरा सेक लूँ
बिखरी पड़ी हैं यादें जरा समेट लूँ
सावन,पतझड़,बसंत, बार सी साल भर की
जीवन के उतराव चढ़ाव पर साथ चली
साल की अंतिम सीमा पर आस लगाये खड़ी
जरा इन्हें अपनी हथेलियों में भर कर 
नये साल में प्रवेश दूँ 
सुनहरे अक्षरों में लिखकर
अपने दिल का एक देश दूँ
बिखरी पड़ी हैं यादें जरा समेट लूँ
दिसम्बर की सर्द धूप मेें जरा सेक लूँ
पारुल शर्मा #NojotoQuote बिखरी पड़ी हैं यादें जरा समेट लूँ
बिसरी यादों का एक फ्रेम दूँ
कुछ भूली-भटकी कुछ बिसरी, कुछ हठ सी
कुछ खट्टी कुछ मीठी कुछ कड़वी कुछ तीखी
कुछ खुशमयी कुछ दुखमयी 
अपने दिल की विरासत में 
हर याद को एक जमीन दूँ
दिसम्बर की सर्द धूप मेें जरा सेक लूँ
parulsharma3727

Parul Sharma

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