दो पल रुक ज़िंदगी, कुछ काम बचा है उसे निपटाने दे, इतनी जल्दी क्या पड़ी है, अपने संग मुझे भी तो आने दे। जिम्मेदारी के बोझ तले दबा हूँ, मैं थोड़ा थक सा गया हूँ, ना कर चलने की जिद, मैं ख़ुद चलूँगा समय तो आने दे। अभी तो बस शुरु ही किया था, कुछ भी नहीं अभी पूरा है, चार कदम तो चले हैं ज़िंदगी में, अभी सफ़र अधूरा है। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏 📌 रचना का सार..📖 के Pin Post पर 📮 वाले नियम अवश्य पढ़े..😊🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को प्रतियोगिता:-68 में स्वागत करता है..🙏🙏