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चल आ आग लगाते हैं, कौन बाद तक जलता है शर्त लगाते ह

चल आ आग लगाते हैं,
कौन बाद तक जलता है शर्त लगाते हैं।

लुटना है या लूटना है
चल आ लूट-पाट मचाते हैं।


सियासत तो है ही बदजात
कभी दलाली से कभी दहशतगर्दी से कमाते हैं।

वो जिनके हाथ में पत्थर थमाए थे
एक बार बागडोर के फूल उनके हाथ थमाते है।
चल आ आग लगाते हैं,
कौन बाद तक जलता है शर्त लगाते हैं।

लुटना है या लूटना है
चल आ लूट-पाट मचाते हैं।


सियासत तो है ही बदजात
कभी दलाली से कभी दहशतगर्दी से कमाते हैं।

वो जिनके हाथ में पत्थर थमाए थे
एक बार बागडोर के फूल उनके हाथ थमाते है।