आज सुन ले मेरी बातें, कल का क्या ठिकाना, ना करना नफ़रत, हर पल हँसकर ही बिताना। नहीं कोई दुनिया में, जिसके पास ग़म नहीं है, इंसान बने हो तो, इंसानियत धर्म को निभाना। खुशियों के चमन में, कल फूल खिले ना खिले, आज सुन ले मेरी बातें, कल फिर मिले ना मिले। काव्य प्रतियोगिता Type - दैनिक काव्य प्रतियोगिता Mode - online Theme - #सुन_ले_मेरी_बाते नियम :- 1) collab करके के comment में done लिखें।