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आईना पता नहीं आईने में सच या झूठ देखती हूं हक

आईना    पता नहीं आईने में 
सच या झूठ देखती हूं
 हकीकत में हूं कुछ और
 पर आईने में खुद को 
कुछ और ही पाती हूं
 जो हूं  वो  दिखती नहीं
 जो दिखती हूं वो हूं नहीं
 जो बोलना चाहती हूं
 वो  बोल पाती नहीं
 जो बोलती  हूं
वो  बोलना चाहती  नहीं
  हे ईश्वर मुझे इस 
भंवर से  बचा ले
 हो सके तो मुझे  
 मुझसे ही रूबरू करा दे...
आईना    पता नहीं आईने में 
सच या झूठ देखती हूं
 हकीकत में हूं कुछ और
 पर आईने में खुद को 
कुछ और ही पाती हूं
 जो हूं  वो  दिखती नहीं
 जो दिखती हूं वो हूं नहीं
 जो बोलना चाहती हूं
 वो  बोल पाती नहीं
 जो बोलती  हूं
वो  बोलना चाहती  नहीं
  हे ईश्वर मुझे इस 
भंवर से  बचा ले
 हो सके तो मुझे  
 मुझसे ही रूबरू करा दे...