ज्यादातर ऋणी पुराने क़र्ज़ को चुकाने क़े लिए नए कर्ज़े लेते रहते हैँ और ये निरंतरता जीवन पर्यन्त चलती रहती है... और इस कर्ज़दारी को शाश्वतता देने क़े लिए उन्हें अपनी औलादों को ये क़र्ज़ विरासत मे दे कर ही.. इस दुनिया से रुखसत लेनी पड़ती है ©Parasram Arora विरासत........