चंद सिक्के क्या आए मियां अकड़ मुर्दे सी हो गई खुद की पहचान मिट गई शक्ल जर्दे सी हो गई अब कोई भी बगल से गुजरता नहीं है क्यों? तेरे हर एक अज़ू की बू सड़े गुर्दे सी हो गई ©Qamar Abbas #akar