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चंद सिक्के क्या आए मियां अकड़ मुर्दे सी हो गई खुद

चंद सिक्के क्या आए मियां
अकड़ मुर्दे सी हो गई 
खुद की पहचान मिट गई
शक्ल जर्दे सी हो गई
अब कोई भी बगल से गुजरता
नहीं है क्यों?
तेरे हर एक अज़ू की बू
सड़े गुर्दे सी हो गई

©Qamar Abbas #akar
चंद सिक्के क्या आए मियां
अकड़ मुर्दे सी हो गई 
खुद की पहचान मिट गई
शक्ल जर्दे सी हो गई
अब कोई भी बगल से गुजरता
नहीं है क्यों?
तेरे हर एक अज़ू की बू
सड़े गुर्दे सी हो गई

©Qamar Abbas #akar
kaajukala1866

Qamar Abbas

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