करते हैं वो प्यार, यह मेरा उलफ़त ए वहम था, मुझे से भी ज़्यादा उसके लिए कोई और एहम था। किनारा तो कर लेते, न जाने किस बात का डर था, लगता है मेरी मासूमियत पर उसे थोड़ा रहम था। घाव पर घाव देते रहे वो, मैं थोड़ा नासमझ था, मेरे दर्द की नही कोई दास्तां, न कोई मरहम था। मोहब्बत ए ख़्वाब, मेरा एक सपनों का घर था, टूटे ख़्वाब, जला मेरा घर, रोशन पूरा शहर था। Hello Resties! ❤️ Collab on this #rzpictureprompt and add your thoughts to it! 😊 Highlight and share this beautiful post so no one misses it!😍 Don't forget to check out our pinned post🥳