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नहीं नौकरी अगर रहेगी,कविता कहकर जी लेंगे। दाना-पान

नहीं नौकरी अगर रहेगी,कविता कहकर जी लेंगे।
दाना-पानी नहीं मिले तो,उम्मीद बाँधकर जी लेंगे
पड़ता पापड़ बहुत बेलना, पेट यहाँ पे भरने को।
 सुनो फोड़े छीलकर फोड़ो,विजय लक्ष्य को करने को।।
बहुत भयंकर फण्डा है ये,यहाँ-वहाँ लगता पैसा।
जेब यहाँ पर रहनी तगड़ी,चाहे रहे मनुज कैसा।।
मन जैसा हो तन जैसा हो,जेब रहे हरदम भारी।
 कोई डिग्री यहाँ तुम ले लो,पैसे से है सब हारी।।
 फेल रिजल्ट को पास करती,रिजल्ट पास फेल भी ये।
टका धर्म है टका स्वर्ग है,बेटका को जेल भी ये।।

©Bharat Bhushan pathak #नौकरी
नहीं नौकरी अगर रहेगी,कविता कहकर जी लेंगे।
दाना-पानी नहीं मिले तो,उम्मीद बाँधकर जी लेंगे
पड़ता पापड़ बहुत बेलना, पेट यहाँ पे भरने को।
 सुनो फोड़े छीलकर फोड़ो,विजय लक्ष्य को करने को।।
बहुत भयंकर फण्डा है ये,यहाँ-वहाँ लगता पैसा।
जेब यहाँ पर रहनी तगड़ी,चाहे रहे मनुज कैसा।।
मन जैसा हो तन जैसा हो,जेब रहे हरदम भारी।
 कोई डिग्री यहाँ तुम ले लो,पैसे से है सब हारी।।
 फेल रिजल्ट को पास करती,रिजल्ट पास फेल भी ये।
टका धर्म है टका स्वर्ग है,बेटका को जेल भी ये।।

©Bharat Bhushan pathak #नौकरी