सब साज़ों की, सब धुन सुनकर, तेरी जब आवाज़ सुनी, लगा कि जैसे क़ायनात ने, अपनी ही कोई धुन बुनी, सरगम, सप्तक, राग, तान की सुध मैं सारी भूल गया, सुबह-शाम हर-पल सुनने को, बस तेरी आवाज़ चुनी। ©कमल "किशोर" #YouNme #तेरी_आवाज़