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erkamalkishore8470
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कमल "किशोर"

कुछ कर गुज़र तू ना सिहर, अब खुद को इक पहचान दे, जो कर रहे आज मज़ाक तेरा तेरी फ़तेह की कल मिशाल दें।। kishore002kamal @ insta whatsapp 8708396617 Er. Kamal Kishore @yourquote

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कमल "किशोर"

सब साज़ों की, सब धुन सुनकर,
तेरी जब आवाज़ सुनी,
लगा कि जैसे क़ायनात ने,
अपनी ही कोई धुन बुनी,
सरगम, सप्तक, राग, तान की
सुध मैं सारी भूल गया,
सुबह-शाम हर-पल सुनने को,
बस तेरी आवाज़ चुनी।

©कमल "किशोर" #YouNme #तेरी_आवाज़
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कमल "किशोर"

"मेरी बात सुनो"

अच्छा सुनो.......!, मेरी बात सुनो,

हम दोनों साथ में कैसे लगेंगे,
ऐसे-ऐसे ख़्वाब बुनो..
सुनो...!, मेरी बात सुनो ।।

काँटे भी मिलेंगे टहनी पर,
तुम हाथ बचाकर, केवल फूल चुनो,
सुनो...!, मेरी बात सुनो..।।

हैं बेईमान बहुत, जो बहकेंगे, तुम्हारी अदाएं देखकर,
बर्गलाएँगे, लालचाएँगे,  तुम्हें मेरे ख़िलाफ़ भड़काएँगे,
लेकिन,  मैं तुम्हारा ही रहूँगा हमेशा,
उनकी बिल्कुल मत सुनो...
सुनो न......!, मेरी बात सुनो।। 🌹

©कमल "किशोर" #Hum मेरी बात सुनो
#love, #प्रेम,

#Hum मेरी बात सुनो love, #प्रेम, #लव

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कमल "किशोर"

बड़ी जोर से बारिश हुई है, आ जाओ
तुमसे मिलने की ख्वाहिश हुई है, आ जाओ
जोश-जोश में कह दिया, वो कार-बंद हैं हमारे,
इसी बात की आजमाइश हुई है, आ जाओ,
यूं तो होता नहीं है राब्ता, अर्श का जमीन से,
अबकी खुदा की सिफारिश हुई  है, आ जाओ ।।

©कमल "किशोर" #Remember #बारिश #बारिशकीबूंदे  #तेरी_याद
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कमल "किशोर"

अगणित बार गिरा जीवन में,
लेकिन पतित न हुआ कभी,
स्वतः, स्वयं का हाथ पकड़कर
की बाधाएं पार सभी,
अंतर्मन ने यूँ झिंझोड़ा,
पथ से कभी न भरमाया,
लक्ष्यभेद की ज्वाला धधके,
शीतल पड़ने दी न कभी,
है विश्वास स्वयं पर इतना,
गिरि की चोटी छू लूँगा,
अंतिम श्वास भी समर लड़ेगी,
होगी स्वयं पर विजय तभी।।

©कमल "किशोर"
  #walkingalone स्वयं-सारथी

#walkingalone स्वयं-सारथी #कविता

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कमल "किशोर"

घुटनों पर अपने झुक गयी, 
दुनिया की शराबें तमाम,
महबूब के पास बैठकर, 
नज़रों से पिया जब जाम।। 🥂
🌷

©कमल "किशोर" #Love  #Couple
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कमल "किशोर"

बागीचों की खुशहाली का राज सुनाता हूँ,
आओ तुमको एक पते की बात बताता हूँ,
धरा की छाती चीर निकलता, बनता सुंदर फूल,
कैसे बीज पुष्प बन जाता, कथा सुनाता हूँ..।

दफ़न किये जाते मिट्टी के, तले अनेकों बीज,
दाब-ताप-संताप को सहते, प्रतिदिन प्रतिपल बीज,
कुछ सह जाते, कुछ ढह जाते, गर्भ की पीड़ा बीज,
बन अंकुर फिर बाहर निकलते, वीर-धीर जो बीज।
"किशोर" उन्हीं वीरों के सम्मुख शीश झुकाता हूँ...
कैसे बीज पुष्प बन जाता, कथा सुनाता हूँ।

अंधड़, तूफ़ां, बाढ़, बवण्डर, जिसे ढहा न पाएं,
कितनी भी प्रतिकूल दशा हो, उस भाँति ढल जाए,
कांटों की पीड़ा सहकर, जिसका मनोबल बढ़ जाये,
तब जाकर मस्तक के ऊपर नन्ही कली खिल पाए..
उसकी मधुर सुगंधी तुम तक आज पहुंचाता हूँ,
कैसे बीज पुष्प बन जाता, कथा सुनाता हूँ..।।

नन्हीं कली के ऊपर होता, फिर कीटों का हमला,
शील-सौंदर्य उसका हरने, पहुंचे पूरा अमला,
कूटनीति से उन्हें छकाती, सुना-सुना कर जुमला,
तब तक पूर्ण पुष्प बन जाता, सुंदर लगता गमला,
उन गमलों से अपना घर-आंगन सजाता हूँ,
कैसे बीज पुष्प बन जाता, कथा सुनाता हूँ।।

©कमल "किशोर" #Flower 
पुष्प-यात्रा

#Flower पुष्प-यात्रा #कविता

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कमल "किशोर"

मुझपर कितने लोगों ने टकटकी लगाए रखी है,
कुछ चाहें मेरी पराजय, कुछ ने मालाएं रखी हैं,
कुछ हैं जिन हृदयों में मेरा, स्थान बन गया है अनुपम,
कुछ ने अ-कारण ही मुझसे, द्वेष भावना रखी है,
मैं अपने मन का स्वामी, सब हेतु मन में प्रेम लिए,
अपनी गरिमा नभ में ले जाऊं, यही चेष्टा रखी है,
"किशोर" अंश युगपुरुषों का, जो कभी किसी से डरे नहीं,
सत्य-शोध की ज्वाला निशि-दिन, ज्वलंत बनाये रखी है।

©कमल "किशोर" #Fire
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कमल "किशोर"

नहीं डरे हैं सिँह कभी भी, 
कुत्तों के गुर्राने से,
चूहा सेठ नहीं बन जाता, 
हल्दी की डली पाने से, 
और
तप-तप कर ही बनता कुंदन, 
मूल्यवान हो जाता है,
सोना राख नहीं हो सकता, 
अग्नि में जल जाने से।

©कमल "किशोर" आन-बान-शान

आन-बान-शान #कविता

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कमल "किशोर"

"अरे नहीं"

मैं वंशज युगपुरुषों का,  
जो कभी किसी से डरे नहीं,
प्राणों का बलिदान कर दिया, 
सच कहने से टरे नहीं,
खूब यत्न हुए रिपुदल द्वारा, 
मनोबल उनका ढह जाए,
सीना चीर दिया राज सभा मे,  
वो भी "खालस" थे, मरे नहीं, 
और उनकी ही परिपाटी पर, 
निशि-दिन चलता जा रहा हूँ,
ताने सुनकर, तो क्या अपना, 
मनोबल हारूँ ?  अरे नहीं !

©कमल "किशोर" अरे नहीं !
#walkingalone

अरे नहीं ! #walkingalone #शायरी

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कमल "किशोर"

"गुरू"
।। कहाँ अंत है तीन लोक का, कहाँ चराचर हुआ शुरू,
कहां गूंजता नाद गगन में, किस से करते बात तरु,
गिरि से कैसे छूटी धारा, क्यों है जल से विरक्त मरु,
सकल विश्व का ज्ञान समेटे, भृकुटि ध्यान लगा कर के,
वचन से अपने एक ही पल में, सब संशय करे दूर गुरू ।।

अज्ञान तमस को चीर मिटाये,
ज्योति-पुंज-प्रकाश गुरू..।।
बिन भेदी के दर-दर डोले,
ज्यों स्वामी बिन ढोर "किशोर"
हाथ पकड़ कर राह दिखाते,
राह भटकों की आस गुरू।

©कमल "किशोर" गुरू

गुरू #शायरी

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