Nojoto: Largest Storytelling Platform

रुकना नहीं था मुझको वक्त के हाथों मजबूर था झुकना न

रुकना नहीं था मुझको
वक्त के हाथों मजबूर था
झुकना नहीं था मुझको
जाने दोनों में कौन मगरूर था
चलना चाहा हवाओं के साथ
हवाओं का अपना सुरूर था
बहना चाहा लहरों के हाथ 
पर लहरों को कुछ और ही मंजूर था
न साथ चलने दिया
न आगे बढ़ने दिया
जाने वक्त का क्या दस्तूर था......

       सारिका.......

©Sarika Joshi Nautiyal
  #tanha रुकना नहीं था मुझको...
#nojato #nojohindi #विचारमंथन #Hindi #hindi_poetry #poem #Sarikapoetries #Sarika_Joshi_Nautiyal