तपिश से पाया निजात, मौसम खुशगवार है, कोयल की कूक सुन, हृदय में छाई बहार है। बारिश की फुहारें, तन मन में अगन लगाये, शांत हृदय में उठ रही, शीतलता सी बयार है। मंद-मंद पवन के झोंके, ये अहसास दिलाया, दामिनी प्रज्वलित हो, हुस्न का दीदार कराया। मन मेरा हुआ प्रफुल्लित, देखकर तेरी सूरत, बारिश का मौसम पल को, यादगार बनाया। पद चाप की मधुर तरंगें, नूपुर की झंकार है, होंठों पे तबस्सुम लिये, मतवाली इक नार है। सिहर उठा अंग अंग, दिवास्वप्न जब हुआ भंग, चाय संग कोई और नहीं, मैं और मेरा प्यार है। सुप्रभात, 🌼🌼🌼🌼 🌼आज का हमारा विषय "चाय, बारिश और तुम" बहुत ही ख़ूबसूरत है, आशा है आप लोगों को पसंद आएगा। 🌼आप सब सुबह की चाय की चुस्की लेते हुए लिखना आरंभ कीजिए। 🌼आपके भाग लेने का समय आज रात्रि 12 बजे तक है,