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आहा वोमनिया हां मैं खुश हूं, हां मैं संतुष्ट हूं,

आहा वोमनिया

हां मैं खुश हूं, हां मैं संतुष्ट हूं,
खुद को कुछ नया करती देख,
अपने परिवार की सुख-समृद्धि बढ़ता देख.  

अपने हर कदम की सफलता देखकर, 
मन ही मन आह्लादित,प्रसन्नचित्त मैं 
संभालना जान गई हूं उम्र के हर पड़ाव को.
 
पर ललक भी है,हर दिन कुछ सीखने की,नई विचारधाराएं,नई तकनीक ने
मानो पर लगा दिए हैं मेरी उड़ान को.

जो संकल्प,इच्छाएं जो कभी ना पूरे 
होंगे,काश..इस सोच को बदलकर 
उस  दिशा में पग चल पड़े हमारे.

कुछ नया,कुछ अलग सा करने की 
अदम्य लालसा  ने सोच में लगे 
जंग को साफ कर दिया हो.

तू औरत है,तुझसे ना होगा वगैरह-वगैरह तमाम अलफाजों को पूर्ण विराम लगा कर 
चल पड़ी हूं अपनी नई दिशा तय करने में,
ओ वोमनिया,अहा वोमनिया गाना गुनगुनाते हुए

सृष्टि की रचना करने वाले ने भी 
सामंजस्य  बनाए रखा,तभी तो
पुरुष की पूरक  स्त्री की संरचना की।।

©shaanvi 
  #अहा वोमनिया
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shaanvi

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#अहा वोमनिया #कविता

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