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खामोशियाँ कहने लगी अल्फ़ाज़ चुप रहने लगे वो दर

खामोशियाँ  कहने  लगी  अल्फ़ाज़  चुप  रहने लगे
वो  दर्द  का  अहसास  था  हम  चुप रहे  सहने लगे !

रास्ते  मिले  अन्जान  उस पर  मंज़िलें भी अज़नबी
मझधार  की  एक  धार  पर  बेसुध  रहे  बहने  लगे !

©malay_28
  #ख़ामोश लब