# जिंदगी मेरी सजनी, मेरी उषा मेरी रजनी बनकर, हर कदम पर साथ दिया उसने मेरा जीवन संगिनी बनकर, मैं ठहरा नादान नासमझ उसकी भावनाओं को समझ ना पाया हर मोड़ हर कदम- कदम पर उसे ठुकराया, दर-दर की खायी ठोकरें मैंने उसी ने मुझे सहारा दिया मैं डूब रहा था अहंकार के भंवर में उसी ने मुझे हकीकत का किनारा दिया , जमीन आसमान एक किया मैंने लक्ष्मी को पाने में मैं अंधा नारी शक्ति को जान न पाया, लक्ष्मी मेरे साथ चलती रही और मैं उस अद्भुत शक्ति को पहचान न पाया, जिंदगी की तलाश में मैं लाखों कोसो तलक चला जिंदगी मेरे साथ थी, मेरी अर्धांगिनी बनकर।। ©chanda Yadav #wordsofchanda