हमारी भाषा हमारी देह की भी भाषा है हमारी चाल हाथी की चाल जैसी भी. हो सकती है हमें आदमकद कठपुतलीयों की संज्ञा भी दी जा सकती है याफिर मन की धरती पर. हमें मृत्यु योगिनियाँ कह क़र हमारी हौसला अफ़झाई भी की जा सकती है ©Parasram Arora अभिसारिका बनाम मृत्यु योगिनी......