यूँ ही नहीं कोई वे वक्त चला जाता है उनके पीछे होती है साजिशें- रिशवत , अपनों और बिचौलियों की । कैसे कह दूँ पुरूषवादी समाज है , जहाँ पुरूष भी सहम गए हैं जब से कहानी सूने है अतुल की। क्या फायदा बडे संविधान की जब न्याय की गुहार में 35 साल का मासूम बोले - बहा देना अस्थियों को नाली में । आखिर क्यों नहीं है झूठ की सजा जिनके हाथ कानून, पैसा है वो खुद झूठे हैं क्या???? ©Annu Sinha #sad😞