इश्क़ का कोई सिरा समंदर से उठा होगा कुर्बत की आस ले आसमान में भटका होगा देख परवाने की आँखों में पाक़ आरजू दफ़अतन बेमौसम बेहिसाब बरसा होगा खिरकी से फुहारें कतरा कतरा आती होगी उसे भींगाने जो बैठ इंतजार में तरसा होगा वरना उनके जाते ही इतनी बारिश मई के महीने में? कुर्बत - nearness दफ़अतन - immediately