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अंधकारमय जीवन Date-16/08/20/ अंधकारमय है जीवन कुछ

अंधकारमय जीवन
Date-16/08/20/

अंधकारमय है जीवन कुछ राह दिखता नहीं
चलूँ किस राह पे किसके भरोसे कुछ दीखता नहीं।

लड़खड़ाते हैं कदम,साहिल ही बिछे हैं राहों में
कभी चुभते हैं कभी रक्त को ये बहाते हैं।
यकीं करना भी मुनासिब ना होगा किसी पे
हमेसा राहों से लोग भटकाते हैं यहाँ पे।

एक मंज़िल की चाहत है किंतु दूर नज़र आती है
मेरे आँखों में सजे ख़्वाब अब बिखर सी रही है।
ना अपनों का साथ,ना कोई हमदर्द है यहाँ मेरा 
जिधर देखूं मैं दर्द और रकीबों का ही पहरा है।

टूट के भी ना टूटूंगा,आखरी वक़्त तक लड़ूंगा मैं
हार जाऊँ इतनी ज़ल्दी,इतना भी मैं टुटा नहीं।।
 ये बस काल्पनिक है मेरे जीवन से कोई लेना देना नहीं है।☺️☺️
अंधकारमय जीवन
Date-16/08/20/

अंधकारमय है जीवन कुछ राह दिखता नहीं
चलूँ किस राह पे किसके भरोसे कुछ दीखता नहीं।

लड़खड़ाते हैं कदम,साहिल ही बिछे हैं राहों में
कभी चुभते हैं कभी रक्त को ये बहाते हैं।
यकीं करना भी मुनासिब ना होगा किसी पे
हमेसा राहों से लोग भटकाते हैं यहाँ पे।

एक मंज़िल की चाहत है किंतु दूर नज़र आती है
मेरे आँखों में सजे ख़्वाब अब बिखर सी रही है।
ना अपनों का साथ,ना कोई हमदर्द है यहाँ मेरा 
जिधर देखूं मैं दर्द और रकीबों का ही पहरा है।

टूट के भी ना टूटूंगा,आखरी वक़्त तक लड़ूंगा मैं
हार जाऊँ इतनी ज़ल्दी,इतना भी मैं टुटा नहीं।।
 ये बस काल्पनिक है मेरे जीवन से कोई लेना देना नहीं है।☺️☺️