अस्ताचलगामी सूर्य की लालिमा विचरते खग उन्मुक्त गगन में, गोधुलि की वेला शांतचित्त शाम सवेरा है, धरा खंडित कर सरहदों में घेरा है, अब नहीं बँटेगा ये आकाश मेरा है। Challenge-147 #collabwithकोराकाग़ज़ 30 शब्दों में अपनी रचना लिखिए :) #आकाशमेराहै #कोराकाग़ज़ #yqdidi #yqbaba #YourQuoteAndMine Collaborating with कोरा काग़ज़ ™️