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वो रफूगर भी थक गया है मेरे जख्म सिलते सिलते , अब द

वो रफूगर भी थक गया है मेरे जख्म सिलते सिलते ,
अब दिल नहीं बस घावों के निशान बाकी हैं।
पहले हमें भी था भरोसा मोहब्बत पर,
अब किसी से बात करने तक का मन नहीं करता।
यूं तो माना भी था हमने दोस्त बहुत से लोगों को,
पर सभी के दिये हुए जख्मों के घाव अभी बाकी हैं।
दुआ है मेरी रब से जी लो अपनी ज़िंदगी खुशी से तुम,
तुम्हारे दिए जख्मों के बदले में मेरी दुआ काफी है ।

©Prashant kumar
  #दोस्ती #मोहब्बत #जी_ले_ज़िंदगी_खुशी_की_तलाश_ना_कर