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#मेरू गौ कु खण्डन # यूं सोचदी पैसा भी मिलया हमता

#मेरू गौ कु खण्डन #
 यूं सोचदी  पैसा भी मिलया हमता,
पर समझ नी ओडू क्या कन।
यूं खाड़ छीन या समौड़ छीन ,
कख भटकड़ जिन्दगी भर हमुन।
जागा जमीन कख ची हमु  मूं,
 हम ता यनी छीन दीन राती गुजरना।
कख जाण कख नी जाण ओड़,
कख भटकोड़ जुकड़ी  हमुन अपड़ी।
सरकारा दिया पैसन हमारू काम नी होरू,
ना वेन जागा ओड़ी ना वेन कुड़ी बनरू।
हम  ता यूँ ही सोच्दी रेग्या क्या होलु हमारू,
हमुन क्या करी अपणी कुड़ी बढ़े ।
पाई पाई पैसा जमा करया छा हमुन,
ते कुड़ी बनोरो ज्यूं आज नसीब मा नी।
ते कुड़ी बाना अपणु शरीर भी मारी होलु,
द्वी बैई धंग से  नी खायी होलु।
सोची हमुन हमारा वंश ता होलु कुछ,
लेकिन स्यू तुका नसीब मा नी रे।
जूंगा बाना दिन रात कोरी यख ,
स्यू आज यख नी राया ।
तू पुंगरियोगा छोड़ नी दिखयोड़ा आज,
यनी छीन हम उजाड़ बड़या ।
ये बूडूयन खोड़ भी नी आखूँन,
देखी ता खोड़ चोक मा जमूयं।
तू कुड़ी का नेड़ नक्शा देखी ,
आँखा जन  छीन घूमड़ा ।
या यूं पैसुन खाड़ हमता,
सोचदी रै कब होलु गौ दगडी।

©Shivani Thapliyal गौ
#मेरू गौ कु खण्डन #
 यूं सोचदी  पैसा भी मिलया हमता,
पर समझ नी ओडू क्या कन।
यूं खाड़ छीन या समौड़ छीन ,
कख भटकड़ जिन्दगी भर हमुन।
जागा जमीन कख ची हमु  मूं,
 हम ता यनी छीन दीन राती गुजरना।
कख जाण कख नी जाण ओड़,
कख भटकोड़ जुकड़ी  हमुन अपड़ी।
सरकारा दिया पैसन हमारू काम नी होरू,
ना वेन जागा ओड़ी ना वेन कुड़ी बनरू।
हम  ता यूँ ही सोच्दी रेग्या क्या होलु हमारू,
हमुन क्या करी अपणी कुड़ी बढ़े ।
पाई पाई पैसा जमा करया छा हमुन,
ते कुड़ी बनोरो ज्यूं आज नसीब मा नी।
ते कुड़ी बाना अपणु शरीर भी मारी होलु,
द्वी बैई धंग से  नी खायी होलु।
सोची हमुन हमारा वंश ता होलु कुछ,
लेकिन स्यू तुका नसीब मा नी रे।
जूंगा बाना दिन रात कोरी यख ,
स्यू आज यख नी राया ।
तू पुंगरियोगा छोड़ नी दिखयोड़ा आज,
यनी छीन हम उजाड़ बड़या ।
ये बूडूयन खोड़ भी नी आखूँन,
देखी ता खोड़ चोक मा जमूयं।
तू कुड़ी का नेड़ नक्शा देखी ,
आँखा जन  छीन घूमड़ा ।
या यूं पैसुन खाड़ हमता,
सोचदी रै कब होलु गौ दगडी।

©Shivani Thapliyal गौ