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*जल दिवस के उपलक्ष्य में - सार छंद*- *पानी* ◆◆◆◆◆◆

*जल दिवस के उपलक्ष्य में - सार छंद*- *पानी*
◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆
1-
जल से ही जीवन पृथ्वी पर, बात सभी ने जानी।
धरती ने चूनर ओढ़ी  है, जल के कारण धानी।।
बूँद-बूँद  अनमोल  धरा पर, बात सभी ने मानी।
कुदरत से  उपहार  अनोखा, हमें मिला है पानी।।
2-
जीवन केवल वहाँ-वहाँ है, जहाँ-जहाँ है पानी।
पर इसकी फ़िजूलखर्ची कर, मनुज करे मनमानी।।
पीने के काबिल धरती पर,  ढाई प्रतिशत पानी।
देख-देख  बर्बादी  इसकी, होती है हैरानी।।
3-
धरती पर रहता है पानी, भिन्न-भिन्न रूपों में।
बर्फ ओस पाले में पानी, भाप नदी कूपों में।।
झील  तड़ाग  और  झरनों में, सागर में भी पानी।
लेकिन कारण जल संकट का, फितरत है इंसानी।।
4-
उन सर सरिताओं में हमने, नित अपशिष्ट मिलाया।
जीवनदायी जल जिन सबने,हमको सदा पिलाया।।
जंगल काटे धरती को भी, कंकरीट से पाटा।
जल  पहुँचा  पाताल  रूठकर, करके हमसे टाटा।।
5-
जल संरक्षण करना होगा, जीवन अगर बचाना।
वृक्ष लगाना अपरिहार्य है, यदि समुचित हल पाना।।
जितने भी जंगल काटे हैं, उतने पेड़ लगाएँ।
यह संकल्प आज हम लेकर,जीवन सफल बनाएँ।।
#हरिओम श्रीवास्तव#
     भोपाल, म.प्र.

©Hariom Shrivastava #Life
*जल दिवस के उपलक्ष्य में - सार छंद*- *पानी*
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1-
जल से ही जीवन पृथ्वी पर, बात सभी ने जानी।
धरती ने चूनर ओढ़ी  है, जल के कारण धानी।।
बूँद-बूँद  अनमोल  धरा पर, बात सभी ने मानी।
कुदरत से  उपहार  अनोखा, हमें मिला है पानी।।
2-
जीवन केवल वहाँ-वहाँ है, जहाँ-जहाँ है पानी।
पर इसकी फ़िजूलखर्ची कर, मनुज करे मनमानी।।
पीने के काबिल धरती पर,  ढाई प्रतिशत पानी।
देख-देख  बर्बादी  इसकी, होती है हैरानी।।
3-
धरती पर रहता है पानी, भिन्न-भिन्न रूपों में।
बर्फ ओस पाले में पानी, भाप नदी कूपों में।।
झील  तड़ाग  और  झरनों में, सागर में भी पानी।
लेकिन कारण जल संकट का, फितरत है इंसानी।।
4-
उन सर सरिताओं में हमने, नित अपशिष्ट मिलाया।
जीवनदायी जल जिन सबने,हमको सदा पिलाया।।
जंगल काटे धरती को भी, कंकरीट से पाटा।
जल  पहुँचा  पाताल  रूठकर, करके हमसे टाटा।।
5-
जल संरक्षण करना होगा, जीवन अगर बचाना।
वृक्ष लगाना अपरिहार्य है, यदि समुचित हल पाना।।
जितने भी जंगल काटे हैं, उतने पेड़ लगाएँ।
यह संकल्प आज हम लेकर,जीवन सफल बनाएँ।।
#हरिओम श्रीवास्तव#
     भोपाल, म.प्र.

©Hariom Shrivastava #Life