ना रवा कहिए, ना सजा कहिए दर्द ए दिल को ही शिफा कहिए दिल लगाने की सजा मिलती है क्यों ना ऐसे शै को खता कहिए वो देते तो थे, वफ़ा की मिसाल छोड़िए, उन्हें मत बेवफ़ा कहिए आँचल की छाँव मिली जिसकी क्यों ना उस माँ को खुदा कहिए यूँ ठहर के उनका पलकें उठाना हया कहिए उसे के अदा कहिए छोड़ जाए परिंदा बहार में शजर खिजां नहीं तो और क्या कहिए ©शजर... ✍️💔 ना रवा कहिए, ना सजा कहिए दर्द ए दिल को ही शिफा कहिए दिल लगाने की सजा मिलती है क्यों ना ऐसे शै को खता कहिए वो देते तो थे, वफ़ा की मिसाल छोड़िए, उन्हें मत बेवफ़ा कहिए