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इतनी नाराज़गी, इतना रूठना ठीक नही हालाँकि मेरा तु

इतनी नाराज़गी, इतना रूठना ठीक नही 
हालाँकि मेरा तुमसे ये कहना , ठीक नही,
 ठीक नही है रिश्ते अब तेरे मेरे दरमियाँ पर
 जमाना देखे ये तमाशा ठीक नही ,
बिखर चुके हर एक मोती तेरे मेरे बंधन के 
व्यर्थ मे अब अफ़सोस जताना ठीक नही,
 समझ सके न तुम हमको ये समझे हम देरी से 
बेवजह मे अब तुम पे ये आरोप लगाना ठीक नही,
 मिले यदि एक मौका और सब कर दूंगा ठीक मैं 
बस ख्याली पुलाव है इसे पकाना ठीक नही,
वक़्त ही जाया होना है नितिन और तो होना कुछ नही 
जाने वाली जा चुकी है अब उसे बुलाना ठीक नही..!

©Nitin Arya Muntzir
  ठीक नहीं

ठीक नहीं #Poetry

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