White मैं अपने हक में गवाही मांगता हूं जिस्म से अपनी रिहाई मांगता हूं क्यों बसाना घर- बार यहां पर मैं खुद अपनी तबाही मांगता हूं एक लड़की है जो अब भी हक में मैं तुझसे उसकी भलाई मांगता हूं सब के हक में निवाला लिख दे कौन सा मक्खन मलाई मांगता हूं नहीं समझ आया मुझे तेरा तमाशा तेरे जहां से तौबा, दुहाई मांगता हूं ©_बेखबर #good_night poetry poetry in hindi poetry on love Extraterrestrial life urdu poetry sad