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White मैं अपने हक में गवाही  मांगता हूं  जिस्म से

White मैं अपने हक में गवाही  मांगता हूं 
जिस्म से अपनी  रिहाई मांगता हूं 

क्यों  बसाना  घर- बार  यहां  पर
मैं खुद  अपनी  तबाही  मांगता हूं 

एक लड़की है जो अब भी हक में 
मैं तुझसे उसकी भलाई मांगता हूं 

सब के हक में  निवाला  लिख  दे
कौन सा मक्खन मलाई मांगता हूं 

नहीं समझ आया मुझे तेरा तमाशा 
तेरे जहां से  तौबा, दुहाई मांगता हूं

©_बेखबर #good_night  poetry poetry in hindi poetry on love Extraterrestrial life urdu poetry sad
White मैं अपने हक में गवाही  मांगता हूं 
जिस्म से अपनी  रिहाई मांगता हूं 

क्यों  बसाना  घर- बार  यहां  पर
मैं खुद  अपनी  तबाही  मांगता हूं 

एक लड़की है जो अब भी हक में 
मैं तुझसे उसकी भलाई मांगता हूं 

सब के हक में  निवाला  लिख  दे
कौन सा मक्खन मलाई मांगता हूं 

नहीं समझ आया मुझे तेरा तमाशा 
तेरे जहां से  तौबा, दुहाई मांगता हूं

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